Monday 14 October 2013

गौधन का महत्व


गाय भारतीय संस्कृति का मेरुदंड है, उसे निकाल दो तो फिर संस्कृति का अस्तित्व ही कुछ नहीं बचता. सैन्धव सभ्यता से लेकर आज तक गाय हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनी है. गाय का महत्व  केवल हिन्दू ही स्वीकार नहीं करते बल्कि अन्य धर्मों में भी गौधन का गुणगान किया गया है. बुध्द धर्म लोकनीति में कहा गया है - "सब गृहस्थों को भोग देने वाले और पालने वाले गौबल ही हैं अत: माता-पिता के समान उन्हें मानें और सत्कार करें:. 

गाय के दूध को माँ के दूध के सम  रखा गया है. गौघृत में मनुष्य के शरीर में पहुँचे रेडियोएक्टिव पदार्थों को विनष्ट करने की अदभुत क्षमता होती है. आज सम्पूर्ण विश्व में कैंसररोधी ड्र्ग तथा सर्वोत्तम एंटीबायोटिक ऐवम कीतनाशक गौमूत्र ही है. ब्रिटेन के डॉक्टर सेमर्स के अनुसार गौमूत्र रक्त में बहने वाले दूषित कीटाणुओं को नष्ट करता है. अमेरिका के प्रसिध्द वैज्ञानिक जेम्स मार्टिन ने गाय के गोबर, खम्मीर और समुन्द्र के पानी को उबाल कर ऐसा उत्प्ररेक बनाया जिसके प्रयोग से बंज़र भूमि को भी हरी-भरी बनाया जा सकता है. जारी ............... 

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