Tuesday 8 October 2013

आत्मा और परमात्मा : कुछ भी रहस्य नही.

दुनिया मे दो तरह कि वस्तुये मौजूद है पहला वे जो दिखती है दूसरा वे जो कि नहीं दिखती. दूसरे शब्दों मे प्रथम कोटि कि वस्तुओं को मानव अपनि ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से देख, सुन, सूंघ, स्वाद एवम स्पर्श से महसूस कर सकता है जैसे पुस्तक कुर्सी इत्यादि. दूसरी कोटि मे वे वस्तुयें आती हैं जो ज्ञानेन्द्रियो से परे है, जिन्हे ज्ञानेन्द्रियो  के सहारे न देखा जा सकता है न सुना जा सकता है न महसूस किया जा सकता है. उदाहरण खाली जगह(Space). तो इस प्रकार कहा जा सकता है कि  अस्तित्व दो तरह के तत्वो से मिलकर बना है

1. इकाईया
2. स्पेस

हम देखते है कि दो इकाई के बीच मे कुछ न कुछ स्पेस अवश्य होता है विज्ञान की भाषा इसे अंतराअणुक स्थान (Intra-Molecular Space) कहते है. यह स्पेस ही विश्व की सारी शक्तियो के लिये एकमात्र जिम्मेदार कारक है. उदाहरण के तौर पर गेद को ताकत से फेंकने के लिये  आपको  स्पेस की जरुरत होती है जिसमे आप अपने हाथ को घुमा सके इसके पश्चात  स्पेस  वेग मे बदल जाता है. बिना स्पेस के आप किसी भी इकाई की कल्पना नही कर सकते. स्पेस मे सारी इकाईया भीगी हुयी है. इकाईयो मे स्पेस है स्पेस मे इकाईया है. व्यापक वस्त (स्पेस) सर्वव्यापी है. मुझमे आपमे पदार्थो मे सब मे यही व्यापक वस्तु विद्यमान है. नाम और रूप इकाईयो का अलग अलग है किंतु उनमे एक बात समान है और वह है... स्पेस या व्यापक वस्तु. 
आत्मा और परमात्मा को इकाई और व्यापक वस्तु के रूप मे देखने और समझने का प्रयत्न करे. सृष्टि का रहस्य समझ मे आ जायेगा. 


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