"धर्म एव हतो हंति धर्मो रक्षति रक्षित:
"
जो जीवन भर धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसी की रक्षा करता है किंतु जो जीवन भर धर्म को मारता है __ मारा गया धर्म हंता को भी मार देता है. कर्ण की मृत्यु इस बात का साक्षात उदाहरण है. इस तथ्य को न जानने वाला दुखी और अधर्मोन्मुखी होने के कारण अस्थिर बुद्धि वाला होता है.
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